GST 2.0: व्हीकल सेक्टर को मिलेगा नया आयाम

भारत में टैक्स प्रणाली लंबे समय तक जटिल और बहु-स्तरीय रही है। 2017 में जब गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) लागू हुआ तो इसे कर सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम माना गया। हालांकि समय के साथ स्पष्ट हुआ कि ऑटोमोबाइल और व्हीकल सेक्टर में पुराने GST ढांचे से कुछ समस्याएँ बनी हुई हैं—विशेषकर बहु-स्तरीय स्लैब, अतिरिक्त सेस और महंगे वाहनों पर भारी टैक्स।


सितंबर 2025 में लागू GST 2.0 ने इन चुनौतियों को संबोधित करते हुए एक नई कर संरचना पेश की है। इस बदलाव को “व्हीकल सेक्टर के लिए नया आयाम” कहा जा रहा है, क्योंकि इससे न केवल ग्राहकों को राहत मिली है बल्कि कंपनियों और उद्योग को भी नई ऊर्जा मिली है।

GST 2.0 किस पर डालेगा कितना असर

GST 2.0 के तहत सरकार ने टैक्स स्लैब को सरल बनाया है। पहले 0%, 5%, 12%, 18%, 28% और साथ में कंपनसेशन सेस लागू था। नतीजतन, बड़ी गाड़ियों पर कुल टैक्स 50% तक पहुँच जाता था।
अब नई व्यवस्था में

18% का सामान्य स्लैब (छोटी कारें, बाइक, स्कूटर, ट्रक आदि)

40% का प्रीमियम स्लैब (लग्ज़री कारें, SUV, हाई-एंड बाइक्स)

5% का विशेष स्लैब (ट्रैक्टर, कृषि उपकरण, इलेक्ट्रिक वाहन)

यह बदलाव कर प्रणाली को पारदर्शी और उपभोक्ता-अनुकूल बनाता है।

छोटी कारों और टू-व्हीलर पर असर

पहले 28% तक टैक्स देने वाली छोटी कारें और दोपहिया अब केवल 18% GST में आ गई हैं।

मारुति, टाटा, हुंडई जैसी कंपनियों ने तुरंत कीमतें घटाईं।

टाटा ने अपनी Tiago और Nexon पर 75 हजार से 1.55 लाख रुपये तक की छूट दी।

हुंडई ने Creta और Venue पर 60 हजार से 2.4 लाख तक की कटौती की।

दोपहिया वाहन (≤350cc) जैसे Bajaj Pulsar, TVS Apache, Hero Splendor पर भी कीमतें गिरी हैं। ग्रामीण और शहरी दोनों बाज़ारों में इनकी बिक्री बढ़ने की संभावना है।

लग्ज़री और प्रीमियम वाहन

पहले लग्ज़री कारों पर 28% GST + 22% सेस यानी लगभग 50% टैक्स देना पड़ता था। अब यह घटकर 40% रह गया है।

Audi India ने Q3, Q5 और Q8 मॉडल्स पर 2.6 से 7.8 लाख रुपये तक की कटौती की।

BMW और Mercedes ने भी अपने मॉडल्स को 8–11 लाख रुपये तक सस्ता किया।

Skoda और Volkswagen ने 3 लाख रुपये तक की छूट दी।

हालांकि टैक्स अभी भी ऊँचा है, लेकिन संरचना सरल और स्पष्ट हो गई है, जिससे ग्राहकों का भरोसा बढ़ेगा।

ट्रैक्टर और कृषि वाहन

ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहे जाने वाले ट्रैक्टर और कृषि उपकरणों पर अब केवल 5% GST लगेगा।

पहले 12% से 28% तक टैक्स देना पड़ता था।

इस राहत से किसानों को सीधे फायदा होगा।

नए ट्रैक्टर, थ्रेशर और खेती मशीनें सस्ती होंगी।

सरकार का लक्ष्य ग्रामीण कृषि उत्पादकता और आय बढ़ाना है।

इलेक्ट्रिक वाहन (EVs)

इलेक्ट्रिक वाहनों पर पहले से ही 5% GST लागू था, और GST 2.0 में इसे बरकरार रखा गया है।

EVs की मांग लगातार बढ़ रही है।

Ola Electric, Tata EV, Mahindra XUV400 जैसी गाड़ियाँ अब और अधिक किफायती विकल्प साबित होंगी।

सरकार ग्रीन मोबिलिटी को प्रोत्साहन देने के लिए सब्सिडी और टैक्स छूट दोनों जारी रखे हुए है।

इससे EV चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर में भी निवेश की संभावना बढ़ी है।

लॉजिस्टिक्स और ट्रक सेक्टर

ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स सेक्टर देश की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाता है।

ट्रक और लॉरी पर टैक्स 28% से घटकर 18% हो गया है।

इससे ट्रांसपोर्ट कॉस्ट कम होगी और इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स सस्ते होंगे।

लॉजिस्टिक्स कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी।

कंपनियों और ग्राहकों की प्रतिक्रियाएँ

Maruti Suzuki को उम्मीद है कि छोटी कारों की बिक्री में 10% तक वृद्धि होगी।

Audi India ने कहा कि यह सुधार ग्राहकों को लग्ज़री कारों के करीब लाएगा।

Tata Motors और Hyundai ने तुरंत अपनी कारों की कीमतों में कटौती का ऐलान किया।

ग्राहकों में उत्साह है और फेस्टिव सीजन में बुकिंग रिकॉर्ड स्तर पर पहुँचने की संभावना है।

ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री का बड़ा हिस्सा MSMEs और कंपोनेंट सप्लायर्स पर निर्भर करता है।

बढ़ी हुई मांग से टायर, बैटरी, स्पेयर पार्ट्स और इलेक्ट्रॉनिक्स बनाने वाले छोटे-मझोले उद्योगों को लाभ होगा।

3.5 करोड़ से अधिक रोजगारों पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर

सस्ती गाड़ियाँ और घटे टैक्स का सीधा असर ऑटो लोन की मांग पर पड़ेगा।

NBFC और बैंकिंग सेक्टर को नए ग्राहकों का फायदा होगा।

ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में वाहन ऋण की पहुँच और बढ़ेगी।

चुनौतियाँ

जहाँ फायदे हैं, वहीं कुछ चुनौतियाँ भी सामने आई हैं—

इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का ट्रांजिशन कंपनियों के लिए पेचीदा है।

छोटे व्यापारी कैश-फ्लो और वर्किंग कैपिटल की दिक्कतें झेल रहे हैं।

लग्ज़री वाहनों पर टैक्स अभी भी अपेक्षाकृत ऊँचा है।

निष्कर्ष

GST 2.0 ने भारतीय व्हीकल सेक्टर को एक नया आयाम दिया है।

छोटी कारें और दोपहिया अब अधिक किफायती हो गई हैं।

लग्ज़री वाहनों के लिए पारदर्शी टैक्स व्यवस्था बनी है।

किसानों और ग्रामीण खरीदारों को सीधा लाभ हुआ है।

इलेक्ट्रिक वाहनों को लगातार समर्थन मिल रहा है।

लॉजिस्टिक्स और MSMEs को नई ऊर्जा मिली है।

यह कहना गलत नहीं होगा कि GST 2.0 ने वाहन उद्योग को गति, पारदर्शिता और नई दिशा दी है। आने वाले वर्षों में इसका असर रोजगार, निवेश और आर्थिक विकास पर स्पष्ट रूप से दिखाई देगा।

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