Green Bonds क्या हैं और इनमें निवेश का भविष्य

आज पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन (Climate Change) और पर्यावरणीय संकट (Environmental Crisis) से जूझ रही है। बढ़ता प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग, कार्बन उत्सर्जन और ऊर्जा की बढ़ती मांग हमें यह सोचने पर मजबूर कर रही है कि क्या हमारा आर्थिक विकास पर्यावरण के साथ तालमेल बैठा रहा है या नहीं।
इसी समस्या के समाधान के रूप में सामने आए हैं – Green Bonds। ये वित्तीय साधन न केवल निवेश का अवसर देते हैं बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी अहम योगदान करते हैं।

Green Bonds क्या हैं?

Green Bonds एक प्रकार का Fixed Income Instrument (ऋण पत्र) है। इन्हें सरकारें, बैंक, वित्तीय संस्थान या कंपनियाँ जारी करती हैं।
इनसे प्राप्त धनराशि का उपयोग केवल पर्यावरण-मित्र (eco-friendly) प्रोजेक्ट्स जैसे –

नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy – सौर, पवन, जल विद्युत)

ऊर्जा दक्षता (Energy Efficiency)

ग्रीन बिल्डिंग्स

प्रदूषण नियंत्रण

स्वच्छ परिवहन (Clean Transportation)

अपशिष्ट प्रबंधन (Waste Management)
में किया जाता है।

सरल शब्दों में कहें तो ग्रीन बॉन्ड वह बॉन्ड है जिसमें निवेश करके आप न केवल रिटर्न कमाते हैं बल्कि धरती को हरा-भरा और प्रदूषण-मुक्त बनाने में भी योगदान देते हैं।

ग्रीन बॉन्ड्स का इतिहास

ग्रीन बॉन्ड की शुरुआत वर्ष 2007 में हुई थी, जब यूरोपियन इन्वेस्टमेंट बैंक (EIB) ने पहला ग्रीन बॉन्ड जारी किया।

इसके बाद World Bank ने 2008 में ग्रीन बॉन्ड जारी कर इस ट्रेंड को आगे बढ़ाया।

भारत ने पहली बार 2015 में Yes Bank के जरिए ग्रीन बॉन्ड मार्केट में कदम रखा।

वर्तमान समय में भारत सरकार और कई निजी कंपनियाँ भी बड़े स्तर पर ग्रीन बॉन्ड्स जारी कर रही हैं।

भारत में ग्रीन बॉन्ड्स की स्थिति

भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और यहां ऊर्जा की मांग लगातार बढ़ रही है। सरकार ने 2070 तक Net Zero Emission का लक्ष्य तय किया है। इसे पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकता होगी।

सरकार ने 2023 में अपने पहले Sovereign Green Bonds (SGBs) लॉन्च किए।

कई बैंकों और कंपनियों जैसे SBI, Axis Bank, NTPC, REC Limited ने भी ग्रीन बॉन्ड्स जारी किए हैं।

2025 तक भारत का ग्रीन बॉन्ड मार्केट 20 बिलियन डॉलर से अधिक होने की संभावना है।

ग्रीन बॉन्ड्स कैसे काम करते हैं?
  1. सरकार/कंपनी ग्रीन बॉन्ड जारी करती है।
  2. निवेशक (Investor) इन्हें खरीदते हैं।
  3. प्राप्त पूंजी का उपयोग केवल ग्रीन प्रोजेक्ट्स में होता है।
  4. निर्धारित समय पर निवेशकों को ब्याज और मैच्योरिटी पर मूलधन वापस किया जाता है।

इस तरह ग्रीन बॉन्ड्स सामान्य बॉन्ड्स की तरह ही काम करते हैं, फर्क सिर्फ इतना है कि इनका पैसा केवल पर्यावरण हितैषी परियोजनाओं में लगता है।

  1. स्थिर रिटर्न (Stable Returns)

ग्रीन बॉन्ड्स एक फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटी है, इसलिए इसमें स्टॉक्स की तुलना में जोखिम कम होता है और रिटर्न स्थिर रहता है।

  1. पर्यावरणीय योगदान (Environmental Impact)

इनमें निवेश करके आप नवीकरणीय ऊर्जा, प्रदूषण नियंत्रण और सतत विकास में योगदान देते हैं।

  1. सरकारी समर्थन (Government Support)

भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियाँ ग्रीन बॉन्ड्स को बढ़ावा दे रही हैं, जिससे इनके डिफॉल्ट होने की संभावना कम हो जाती है।

  1. ESG Investment का बढ़ता ट्रेंड

पूरी दुनिया में ESG (Environmental, Social, Governance) आधारित निवेश तेजी से बढ़ रहा है। ग्रीन बॉन्ड्स इसी श्रेणी में आते हैं।

  1. पोर्टफोलियो Diversification

अगर आप स्टॉक्स और म्यूचुअल फंड्स के अलावा कुछ सुरक्षित और स्थायी चाहते हैं तो ग्रीन बॉन्ड्स अच्छा विकल्प हो सकते हैं।

ग्रीन बॉन्ड्स से जुड़े फायदे और नुकसान

फायदे

पर्यावरण-मित्र निवेश

स्थिर रिटर्न

सरकारी गारंटी (कुछ मामलों में)

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती मांग

पोर्टफोलियो में Diversification

नुकसान

सामान्य बॉन्ड्स की तुलना में ब्याज दर थोड़ी कम हो सकती है।

भारत में अभी मार्केट छोटा है, इसलिए Liquidity (खरीद-फरोख्त) सीमित है।

सभी ग्रीन प्रोजेक्ट्स सफल हों, यह जरूरी नहीं।

ग्रीन बॉन्ड्स बनाम सामान्य बॉन्ड्स

तुलना बिंदु सामान्य बॉन्ड्स ग्रीन बॉन्ड्स

निवेश उद्देश्य किसी भी प्रकार की परियोजना केवल पर्यावरणीय परियोजनाएँ
रिटर्न दर सामान्य थोड़ी कम/बराबर
निवेशकों की प्राथमिकता वित्तीय लाभ वित्तीय + सामाजिक/पर्यावरणीय लाभ
सरकारी समर्थन सामान्य स्तर उच्च स्तर (ESG Target)

भारत में ग्रीन बॉन्ड्स में कैसे निवेश करें?

Sovereign Green Bonds (SGBs): इन्हें RBI और सरकार द्वारा जारी किया जाता है।

Bank/Corporate Green Bonds: कई बैंक और कंपनियाँ अपने ग्रीन प्रोजेक्ट्स के लिए बॉन्ड्स जारी करती हैं।

Mutual Funds/ETFs: कुछ म्यूचुअल फंड्स ग्रीन बॉन्ड्स में निवेश करने का अवसर देते हैं।

निवेश करने के लिए आप अपने ब्रोकर (Zerodha, Groww, Upstox) या बैंकों की वेबसाइट के जरिए ग्रीन बॉन्ड्स खरीद सकते हैं।

ग्रीन बॉन्ड्स का भविष्य (Future of Green Bonds in India)

भारत में ग्रीन बॉन्ड्स का भविष्य बेहद उज्ज्वल है। इसके पीछे कई कारण हैं –

  1. Net Zero Emission का लक्ष्य (2070 तक)
    भारत को Renewable Energy और Green Projects पर भारी निवेश करना होगा।
  2. अंतरराष्ट्रीय निवेश
    विदेशी निवेशक भारत में ग्रीन बॉन्ड्स को लेकर उत्साहित हैं।
  3. सरकारी नीतियाँ
    भारत सरकार ने 2030 तक ऊर्जा का 50% हिस्सा Renewable Sources से लाने का लक्ष्य तय किया है।
  4. ESG Investment Growth
    पूरी दुनिया में ESG आधारित निवेश तेजी से बढ़ रहा है। इसका सीधा लाभ ग्रीन बॉन्ड्स को मिलेगा।
  5. बढ़ती जागरूकता
    लोग अब केवल वित्तीय लाभ ही नहीं, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय योगदान को भी महत्व देने लगे हैं।

अनुमान है कि 2030 तक भारत का ग्रीन बॉन्ड मार्केट 100 बिलियन डॉलर से अधिक का हो सकता है।

किन लोगों के लिए ग्रीन बॉन्ड्स सही निवेश विकल्प हैं?

वे निवेशक जो Low Risk + Stable Return चाहते हैं।

पर्यावरण संरक्षण में योगदान देना चाहते हैं।

जिनका निवेश क्षितिज मध्यम से लंबी अवधि का है।

जो अपने पोर्टफोलियो में Diversification चाहते हैं।

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